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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
बयार जाम-ए-लबालब ब-याद-ए-आसिफ़-ए-अ'ह्दवज़ीर-ए-मुल्क-ए-सुलैमाँ इ'माद-ए-दीं महमूद
हाफ़िज़
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
बह्र-ए-यक सज्द: ब-राह-ए-तू सरासर इश्क़ेमबह्र-ए-यक बोस: ब-पा-ए-तू लबालब हवसेम
अमीर ख़ुसरौ
कलाम
है ख़ुम तो मय से लबालब ये तिश्ना-कामी क्यूँलो तोड़ मोहर-ए-ख़ुदी मय भी पीजिए तो सही
स्वामी रामतीर्थ
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
"मुसीबतों और परेशानियों से अल्लाह हमारे अज़ीज़ अमीर की हिफ़ाज़त करे! इस नाचीज़ ग़ुलाम की वफ़ादारी
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
कन्नड़ का भक्ति साहित्य- श्री रङ्गनाथ दिवाकर
आदि-मानव ने इस विचित्र एवं विविधता से भरी सृष्टि की ओर आँखें खोल के पहले-पहल जब