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सूफ़ी शब्दावली
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
चातुर मरद जो हाथ लगावे। खोल सतर वह आप दिखावे।।-पुस्तक
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
चातुर मरद जो हाथ लगावे। खोल सतर वह आप दिखावे।। -पुस्तक
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सूफ़ी लेख
कलाम-ए-‘हाफ़िज़’ और फ़ाल - मौलाना मोहम्मद मियाँ क़मर देहलवी
जब फ़ाल निकालने का इरादा हो पहले मा’लूम करें कि दिन या रात के चार पहरों
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया सुहरावर्दी रहमतुल्लाह अ’लैह
हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया अपनी मुरीदों में शैख़ हसन अफ़ग़ानी को बहुत ही महबूब रखते थे।वो
सूफ़ीनामा आर्काइव
ना'त-ओ-मनक़बत
'इश्क़ के दफ़्तर में पहले हम्द हो अल्लाह काहर सतर में तब खुलेगा मा'नी वजहुल्लाह का
अफ़ज़ल हुसैन अस्दक़ी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत मख़दूम हुसैन ढकरपोश
इसी वाक़िआ’ को क़ाज़ी शह बिन ख़त्ताब बिहारी ने ‘मूनिसुल-क़ुलूब’ में तफ़्सील से बयान किया है-“हज़रत
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
दूल्हा और दुल्हन का आरिफ़ाना तसव्वुर
इस की एक अहम वजह ये भी है कि बाज़ सूफ़िया की रुहानी वारदात का असर
शमीम तारिक़
सूफ़ी लेख
शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
(2)रिसाला-ए-महविया- ये एक मुख़्तसर रिसाला है। जैसा कि इस के नाम से ज़ाहिर है इस में