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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
अंदरीं महफ़िल ज़े-बस गर्म-ए-बयानम कर्द:अन्दशम्अ' साँ हर ’उज़्व-ए-मन सर्फ़-ए-ज़बानम कर्द:अन्द
ख़्वाजा मीर दर्द
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ग़ज़ल
तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगाफ़साना ही नहीं कोई तो उ’न्वाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी देहलवी
गीत
तेरी महफ़िल में क़िस्मत आज़मा कर हम भी देखेंगेघड़ी-भर को तेरे नज़्दीक आ कर हम भी देखेंगे
शकील बदायूँनी
ना'त-ओ-मनक़बत
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
ग़ज़ल
शिकस्त-ए-ख़ातिर-ए-'आशिक़ में है रँग उन की महफ़िल काउसी तस्वीर पर है आईना टूटे हुए दिल का
अफ़सर सिद्दीक़ी अमरोहवी
ग़ज़ल
वो जल्वे जो हिजाब-ए-नाज़ से महफ़िल में आते हैंमेरे दिल से निकलते हैं कि मेरे दिल में आते हैं
ज़हीन शाह ताजी
ग़ज़ल
तू ने जो की ऐ जान-ए-महफ़िल जाने की तय्यारी रातशम्अ' ने फिर सूली पर काटी रोते रोते सारी रात
शाह नसीर
कलाम
जुनूँ वज्ह-ए-शिकस्त-ए-रंग-ए-महफ़िल होता जाता हैज़माना अपने मुस्तक़बिल में दाख़िल होता जाता है
सीमाब अकबराबादी
शे'र
इजाज़त हो तो हम इस शम्अ'-ए-महफ़िल को बुझा डालेंतुम्हारे सामने ये रौशनी अच्छी नहीं लगती
पुरनम इलाहाबादी
शे'र
महफ़िल इ’श्क़ में जो यार उठे और बैठेहै वो मलका कि सुबुक-बार उठे और बैठे