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फ़ारसी कलाम
क़िब्लः-ओ-मेहराब-ए-मन अबरु-ए-दिल-दार अस्त-ओ-बसईं दिल-ए-शोरीद: रा बा-ईँ-चे-ओ-बा-आँ-चे कार
हाफ़िज़
रूबाई
चूँ रिज़्क़-ए-तु आँ चे अद्ल क़िस्मत फ़र्मूदयक ज़र्रः न कम शुद व न ख़्वाहद अफ़्ज़ूद
अ’ली इमाम ख़ान
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मसनवी
बाज़ गुफ़्तन-ए-बाज़र्गाँ बा-तूती आँ-चे दीद अज़ तूतियान-ए-हिंदुस्ताँकर्द बाज़र्गाँ तिजारत रा तमाम
रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
आँ-चे रू-ए-तू कुनद नूर-ए-रुख़-ए-ख़ुर न-कुनदवाँचे 'इश्क़-ए-तू कुनद शोरिश-ए-महशर न-कुनद
रूमी
सूफ़ी कहावत
हर चे दिलम अस्त, न आँ शुद हर चे ख़ुदा ख़्वास्त, हमां शुद
मेरे दिल की इच्छा पूरी नहीं हुई,जो भगवान की इच्छा थी, वही हो गया।
वाचिक परंपरा
फ़ारसी कलाम
ईं चे दाग़ेस्त कि अज़ हिज्र-ए-तू बर जान-ए-मन अस्तवीं चे सोज़ेस्त कि बर सीन:-ए-बिर्यान-ए-मन अस्त
हुसैन बिन मंसूर हल्लाज
फ़ारसी कलाम
सोख़्तम सोख़्तम ईं सोज़-ए-निहाँ रा चे इ’लाजजानम आतिश-कदः शुद आतिश-ए-जाँ रा चे इ’लाज
अज़ीज़ सफ़ीपुरी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ब-रौ ब-कार-ए-ख़ुद ऐ वाइ'ज़ ईं चे फ़रियाद अस्तमरा फ़ितादः दिल अज़ कफ़ तुरा चे उफ़्ताद अस्त