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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
हर कस कि न-दारद ब जहाँ मेहर-ए-तू दर दिलहक़्क़ा कि बुवद ताअ'त-ए-ऊ ज़ाएअ'-ओ-बातिल
हाफ़िज़
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विषय
दिल
दिल
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फ़ारसी कलाम
ब-देह दस्त-ए-यक़ीं ऐ दिल ब-दस्त-ए-शाह-ए-जीलानीकि दस्त-ए-ऊ बुवद अंदर हक़ीक़त दस्त-ए-यज़्दानी
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
बा चश्म-ए-दिल दीदार कुन दिल में तेरे दिलदार हैअज़ दानः पैदा मी-शवद क्या बर्ग क्या गुल-ओ-ख़ार है
किशन सिंह आरिफ़
बैत
अगर ख़ुफ़िया दह दिल ब-दस्त आवरी
अगर ख़ुफ़िया दह दिल ब-दस्त आवरीअज़ाँ बह कि सद रह शबीख़ूँ बरी
सादी शीराज़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ दिल अर उक़बात बायद दस्त अज़ दुनिया ब-दारपाक-बाज़ी पेशः गैर व राह-ए-दीं कुन इख़्तियार
हकीम सनाई
कलाम
सँभल ऐ दिल किसी का राज़ बे-पर्दा न हो जाएये दीवानों की महफ़िल है कोई रुस्वा न हो जाए
अमीर बख़्श साबरी
ग़ज़ल
न रोता ज़ार ज़ार इतना न करता शोर-ओ-शर इतनाइलाही क्या करूँ दर्द-ए-जिगर इतना जिगर इतना
सफ़ी औरंगाबादी
सूफ़ी कहावत
नाम नेको गर बमानद ज़े आदमी; बेह कज़ ऊ मानद सराए ज़र निगार
अपने पीछे सोने से सुसज्जित महल छोड़ने से बेहतर है कि इंसान एक अच्छे नाम को छोड़ कर जाए
वाचिक परंपरा
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
गर 'आशिक़ी अज़ जान-ओ-दिल जौर-ओ-जफ़ा-ए-यार कशवर ज़ाँ-कि तु 'आशिक़ नः-ई रौ सुख़रः मी-कुन ख़ार कश
रूमी
फ़ारसी कलाम
ऐ दिल ब-गीर दामन-ए-सुल्तान-ए-औलियाया'नी हुसैन-इब्न-ए-अली जान-ए-औलिया