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फ़ारसी कलाम
ऐ माह-ए-मन-ओ-शाह-ए-सिपाह-ए-हम: ख़ूबाँख़ूबाँ हम: शाहंद-ओ-तू-शाह-ए-हम: ख़ूबाँ
नूरुद्दीन हिलाली
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
माह-ए-मन दर पर्दः दारद ज़ुल्फ़-ए-मुश्क अफ़्शाँ हनूज़बर ने-फ़िगंदस्त पर्द: अज़ रुख़-ए-रख़्शाँ हनूज़
रूमी
ग़ज़ल
न ख़्वाहाँ ताज-ए-ख़ुसरव का न मैं तख़्त-ए-सिकंदर कामुक़द्दर उस जगह ले चल भिकारी हूँ मैं जिस दर का
फ़ज़लुर रहमान माह
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह फ़ाइक़ शहबाज़ी
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ना'त-ओ-मनक़बत
ब-ख़ूबी मेहर-ए-ताबाँ माह से ता-ब-माही होबड़ा क्या उस से रुत्बा हो कि महबूब-ए-इलाही हो
अज्ञात
दोहा
माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल और
माह मास लहि टेसुआ मीन परे थल औरत्यों 'रहीम' जग जानिये छुटे आपुने ठौर
रहीम
फ़ारसी कलाम
ऐ माह-ए-रास्तीं ज़े-शबिस्तान-ए-कीस्तीवाए आफ़ताब-रूए ब-गो ज़ान-ए-कीस्ती
शैख़ जमालुद्दिन हान्सवी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ 'आशिक़ाँ ऐ 'आशिक़ाँ मन 'आशिक़-ए-फ़रज़ानः-अमबा-शम'-ए-वसलश दर जहाँ परवान:-अम परवान:-अम
रूमी
फ़ारसी कलाम
ऐ दिल-ए-मन दीद:-ए-मन जान-ए-मन जानान-ए-मनया मोहम्मद बर तु क़ुर्बां ईं मन-ए-हर-आन-ए-मन