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शे'र
जिगर मुरादाबादी
सूफ़ी शब्दावली
(हर्ष) ׃आध्यात्मिक प्रेम के फलस्वरूप जो आत्मिक आनंद प्राप्त होता है, उसे ‘तरब’ कहते हैं.
ग़ज़ल
ये सामान-ए-तरब या रब मुझे किस ढब मुहय्या होजुनूँ शोर-ओ-फ़ुग़ाँ 'उर्यां-तनी यसरिब का सहरा हो
शाह फ़ज़्ल-ए-रसूल बदायूँनी
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फ़ारसी कलाम
नक़ाब अज़ रू-ए-ऊ वा-बूद शब जाए कि मन बूदमज़े-हुस्नश शोर-ओ-ग़ौग़ा बूद शब जाए कि मन बूदम
औहदी
ना'त-ओ-मनक़बत
किसी शब ख़्वाब में जल्वः दिखा दो या-रसूलल्लाहमिरी सोई हुई क़िस्मत जगा दो या-रसूलल्लाह
उमर वारसी
फ़ारसी कलाम
नक़ाब अज़ रू-ए-ऊ वा बूद शब जाए कि मन बूदमज़े-हुस्नश शोर-ओ-ग़ौग़ा बूद शब जाए कि मन बूदम