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ना'त-ओ-मनक़बत
रहमतों वाले नबी ख़ैर-उल-वरा का तज़्किराकीजिए हर वक़्त महबूब-ए-ख़ुदा का तज़्किरा
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
ग़ज़ल
रहा करता है अक्सर तज़्किरा बर्बादी-ए-दिल कामैं बिगड़ा हूँ तो अफ़्साना बना हूँ उन की महफ़िल का
अफ़सर सिद्दीक़ी अमरोहवी
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सूफ़ी लेख
तज़्किरा यूसुफ़ आज़ाद क़व्वाल
इस्माई’ल आज़ाद के हम-अ’स्रों में सबसे ज़्यादा शोहरत यूसुफ़ आज़ाद को नसीब हुई। यूसुफ़ एक इंतिहाई
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
तज़्किरा इस्माई’ल आज़ाद क़व्वाल
ग्यारहवीं सदी ईसवी से मौजूदा बीसवीं सदी तक क़व्वाली ने कई मंज़िलें तय कीं लेकिन ये
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
तज़्किरा जानी बाबू क़व्वाल
जानी बाबू एक सुरीली, मीठी और पुर-कशिश आवाज़ के मालिक हैं। उनकी तबीअ’त में मूसीक़ी ऐसे
अकमल हैदराबादी
शे'र
बढ़ के तूफ़ाँ में सहारा मौज-ए-तूफ़ाँ क्यूँ न देमेरी कश्ती का ख़ुदा है ना-ख़ुदा कोई नहीं
पुरनम इलाहाबादी
सूफ़ी लेख
तज़्किरा हज़रत मीर सय्यद अली मंझन शत्तारी राजगीरी
हज़रत इमाम हसन के वंश में से एक सूफ़ी हज़रत मीर सय्यद मोहम्मद हसनी बग़दाद से
डॉ. शमीम मुनएमी
पद
रामानन्द के दास कबीरा नामदेव भक्तन में शूरा
रामानन्द के दास कबीरा नामदेव भक्तन में शूराकलियुग में नीसान बजाया निराकार का पंथ चलाया
भाऊदास जी
कलाम
ख़ुदी के साज़ में है उ'म्र-ए-जावेदाँ का सुराग़ख़ुदी के सोज़ से रौशन हैं उम्मतों के चराग़
अल्लामा इक़बाल
शे'र
ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-अय्याम के साँचे में ढलता हैकि इक ग़म दूसरे का चारागर है हम न कहते थे
वासिफ़ अली वासिफ़
शे'र
ग़म-ए-जानाँ ग़म-ए-अय्याम के साँचे में ढलता हैकि इक ग़म दूसरे का चारागर है हम न कहते थे