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कलाम
दिल जिस से ज़िंदा है वो तमन्ना तुम्हीं तो होहम जिस में बस रहे हैं वो दुनिया तुम्हीं तो हो
ज़फ़र अली ख़ान
नज़्म
यारब दिल-ए-मुस्लिम को इक ज़िंदा तमन्ना दे
यारब दिल-ए-मुस्लिम को इक ज़िंदा तमन्ना देजो क़ल्ब को गरमा दे जो रूह को तड़पा दे
अल्लामा इक़बाल
फ़ारसी कलाम
ऐ ब-तू ज़िंद: जिस्म-ओ-जाँ मूनिस-ए-जान-ए-कीस्तीशेफ़्त-ए-तू इंस-ओ-जाँ ऊंस-ए-रवान-ए-कीस्ती
फ़ख़रुद्दीन इराक़ी
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विषय
दिल
दिल
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कलाम
सब कुछ है दफ़्न मुझ में वो ज़िंदा मज़ार हूँइस वास्ते मैं अपनी ख़ुदी पर निसार हूँ
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
ना'त-ओ-मनक़बत
हरे झंडे के शहज़ादे जी मेरे पीर दस्तगीरहरे झंडे के शहज़ादे जी मेरे पीर दस्तगीर
वक़ारुद्दीन सिद्दीक़ी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
मुर्दः बुदम ज़िंद: शुदम गिर्यः बुदम ख़ंदः शुदमदौलत-ए-'इश्क़ आमद-ओ-मन दौलत-ए-पायंदः शुदम
रूमी
सूफ़ी कहावत
अगर दुआ-ए-तिफ़्लां रा असर बूदे यक मोअल्लिम ज़िंदा नमांदे
अगर बच्चों की प्रार्थना में असर होता, तो कोई शिक्षक जिंदा नहीं रहता।
वाचिक परंपरा
ग़ज़ल
बेदम शाह वारसी
कलाम
जो अहल-ए-दिल हैं वो हर दिल को अपना दिल समझते हैंमक़ाम-ए-'इश्क़ में हर गाम को मंज़िल समझते हैं
अमीर बख़्श साबरी
ग़ज़ल
आरज़ू भी दिल में तर्क-ए-आरज़ू भी दिल में हैआदमी की जान मुश्किल क्या बड़ी मुश्किल में है