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आज रंग है !
उन्हीं की चारों तरफ़ हिन्द में दुहाई हैस्रोत : पुस्तक : जज़्बात-ए-अकबर (पृष्ठ 365)
सुमन मिश्रा
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हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
इंसानी जज़्बात के इज़हार के लिए इंसान ने जिन फ़ुनून को वज़ा’ किया है उनमें से
उमैर हुसामी
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महफ़िल-ए-समाअ’ और सिलसिला-ए-वारसिया
समाअ’ भी एक अ’रबी लफ़्ज़ है और ये लफ़्ज़ क़व्वाली गाने और सुनने के लिए मुक़र्रर
डॉ. कबीर वारसी
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
इन अख़्लाक़ी और समाजी तसव्वुरात के पीछे मशाएख़ का नज़रिया-ए-इ’श्क़ भी कार फ़रमा था। तसव्वुफ़ में
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
पैग़ंबर-ए-इस्लाम का इर्शाद-ए-गिरामी है कि क़ियामत के दिन अल्लाह अपने बंदों से पूछेगा कि मैं भूका
फ़रोग़-ए-उर्दू
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ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
फ़ैज़े गिरफ़्त अज़ दर ओ बाम ओ अबुल उलाउनके कलाम में दिली एहसासात ओ जज़्बात और