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सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
तवक्कुल – (ख़ुदा पर यक़ीन; ईश्वर पर निर्भरता) –है तवक्कुल मुझे अल्लाह पर अपने अकबर
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
Fawaid-ul-Fawaad (Morals For The Heart) – Book review
7- तवक्कुल– तवक्कुल के तीन दर्जे हैं । पहला दर्जा यह कि जैसे कोई शख्स अपने
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
तजल्लियात-ए-सज्जादिया
है तवक्कुल मुझे अल्लाह पर अपने ‘अकबर’जिसको कहते हैं भरोसा वो भरोसा है यही
अहमद रज़ा अशरफ़ी
सूफ़ी लेख
अस्मारुल-असरार - डॉक्टर तनवीर अहमद अ’ल्वी
हक़ीक़त हिजाब दर हिजाब है। मा’मूलात फ़ाइ’ल पर हिजाब में,अफ़्आ’ल सिफ़ात पर, सिफ़ात ज़ात पर और
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
ईद वाले ईद करें और दीद वाले दीद करें
ईद का शाब्दिक अर्थ सूफ़ी किताबों में कुछ यूँ मिलता है- (मुसलमानों के त्यौहार का दिन;
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत सय्यद हामिद
सीरत: आप तर्क-ओ-तजरीद में अपनी मिसाल आप थे, क़ना'अत और तवक्कुल के मुजस्समा थे, शब् बे-दार थे।
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
सूफ़ी विचारधारा में तवक्कुल (ईश्वर पर निर्भरता) का विशेष महत्व है। अपनी ओर से कोई साधन
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
जौनपूर आने के बा’द शैख़ क़ियामुद्दीन बिन क़ुतुबुद्दीन जौनपूरी की जानिब रुजू’ किया और उन्हीं से
हबीबुर्रहमान आज़मी
सूफ़ी लेख
औघट शाह वारसी और उनका कलाम
हज़रत वारिस पाक ने औघट शाह साहब को यात्रा की आज्ञा दी थी इस लिए आप
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
हमारे सूबा-ए-बिहार में शहसराम को ख़ास दर्जा हासिल है।यहाँ औलिया ओ अस्फ़िया और शाहान ए ज़माना
रय्यान अबुलउलाई
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हकीम शाह अलीमुद्दीन बल्ख़ी फ़िरदौसी
बर्र-ए-सग़ीर हिंद-ओ-पाक की जिन शख़्सियतों को सहीह मानों में अहद साज़ और अबक़री कहा जा सकता
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
बद्र-उल-हसन एमादी लिखते हैं कि-‘‘उनके सम्मान में फ़र्क़ आ गया, बुढ़ापा बुरी बला है, आफ़ियत की