आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दस्त-ए-मुबारक"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "दस्त-ए-मुबारक"
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह ग़फ़ूरुर्रहमान हम्द काकवी
वही करो जो है इर्शाद-ए-हज़रत-ए-सज्जादउन्हीं के दस्त–ए-मुबारक पे है मुझे बैअ’त
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
पीर-ए-दस्त-गीर हज़रत अब्दुल क़ादिर की करामतों का बयान
नक़्ल है जब ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ अपने पीर-ओ- मुर्शिद के हमराह मक्का मुकर्रमा में पहुँचे आपके
हसरत अजमेरी
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
आपकी शोहतर बढ़ती गई। बेथू शरीफ़ में ज़माना-ए-क़दीम से कोलहा और सेवतार क़ौम आबाद थी। इस
मुनीर क़मर
सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
महार शरीफ़ में क़याम के बा’द आपने रुश्द-ओ-हिदायत के काम का आग़ाज़ किया।जल्द ही चारों अतराफ़
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बुर्हानुद्दीन ग़रीब
आख़िर वक़्त में एक रोज़ मुरीदों को बुला कर नसीहतें कीं और उनमें से हर एक
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
दिल्ली में उस वक़्त हज़रत चिराग़ दिल्ली (रहि•) ने सारी फ़ज़ा को चिश्ती अनवार से जगमगा
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शैख़ शर्फ़ुद्दीन अहमद यहया मनेरी
बिहार शरीफ़ में क़ियाम : मख़्दूम साहिब बिहिया के जंगल में दाख़िल हुए तो बारह बरस
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत बंदा नवाज़ गेसू दराज़ - सय्यिद हाशिम अ’ली अख़तर
तक़रीबन पाँच साल के बा’द आप अपनी वालिदा, जद्दा हज़रत बी-बी रानी और अपने बड़े भाई