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सूफ़ी लेख
दानापुर - सूफ़ियों का मस्कन
लेकिन क़िस्मत का साद उन पर ही हुआपत्थर-पत्थर है और जौहर जौहर
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जेती देखे आतमा, तेते सालिगराम।बोलन हारा पूजिये, पत्थर से क्या काम।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
जेती देखे आतमा, तेते सालिगराम। बोलन हारा पूजिये, पत्थर से क्या काम।।
परशुराम चतुर्वेदी
सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
कंकर पत्थर जोड़ के मस्जिद लई बनायवा चढ़ मुल्ला बांग दे का बहरा भयो खुदाय
ख़ुर्शीद आलम
सूफ़ी लेख
सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
अपनी तक़्दीर के लिखे को न काटा उसनेजान दी मुफ़्त में फ़र्हाद ने पत्थर काटे
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दीकोई पत्थर से न मारे मिरे दीवाने को
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
ख़ुद मुहम्मद शाह ने तो बड़ी नहर के ऊपर बारहदरी का मंडवा बनवाया। शाह ‘आलमगीर सानी
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
सूफ़ी लेख
फ़ारसी लिपि में हिंदी पुस्तकें- श्रीयुत भगवतदयाल वर्मा, एम. ए.
कौन सा पत्थर कि जिसने तोड़ दो टुकड़े किए।। इस का उत्तर हिंदी अपनी देववाणी में इस प्रकार देती हैः---
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
सुर्मा-ए-वहदत जो खींचा इ’श्क़ ने आँखों के बीचजूँ सा जो पत्थर नज़र आया वो कोह-ए-तूर था
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ मोहम्मद तुर्क नारनौली
करामात: नसीरुद्दीन महमूद चिराग़ देहली को बादशाह ने ठठ जाने का हुक्म दिया। आप नारनौल होते
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
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समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
एक बार शिवाजी महाराज एक क़िला बनवा रहे थे। क़िले में लगे हुए हज़ारों कर्मचारियों को