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सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
।। छप्पय ।।बोध रूप सो पुरुष महा विज्ञान उजागर।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
कीं हे अमृताचे मेघ बोकले। कीं हे नवरसाचे बोध लोटले।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
माया रूप आहि इमि भाई। जिमि फूल सेमर सुन्दरताई।। ज्ञानस्थिति बोध, पृ. 139
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
गुरु नानक विजय उदासी बोध में इन्होंने नानक विजय, मनप्रबोध, वचनसंग्रह तथा नानक बोध इन चारों रचनाओं
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर जी का समय डाक्टर रामप्रसाद त्रिपाठी, एम. ए., डी. एस्-सी.
कबीर संप्रदाय की एक जनश्रुति के अनुसार कबीरसागर में उन का नामदेव से मिलना भी लिखा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर साहब और विभिन्न धार्मिक मत- श्री परशुराम चतुर्वेदी
यहाँ ‘छह दरसन’ से कबीर साहब का अभिप्राय उन षड्दर्शनों से नहीं जान पड़ता जो न्याय,
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
बदरुद्दीन जिन्हें, पीर बोध शाह भी कहते हैं, गुरु के लिए अपने चार बच्चों और भाईयों
मुनादी
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रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(2) मदन भुअंग नहिं मंत्र जंता।अस्तु रैदास और सहजोबाई के काव्य में योग, दर्शन, भक्ति, पुराण और
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
तऊ प्रकास करै जितौ भरिए तितौ सनेह।।1।।टीका- सखी की उक्ति नायका सौं। सिछा रूप बचन तैं
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मंझनकृत मधुमालती - श्री चंद्रबली पाँडे एम. ए.
कहने का तात्पर्य यह कि मधुमालती में सभी मुस्लिम लक्षण मौजूद हैं जो दूर से पुकार-पुकारकर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
दारा शिकोह और बाबा लाल बैरागी की वार्ता
15-दारा शुकोह – यह प्रथा है कि मुसलमान मरने पर गाड़ दिया जाता है और हिन्दू
सुमन मिश्रा
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संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
इस प्रकार सगुण की भक्ति और निर्गुण का चिंतन (ध्यान) कबीर ने स्वयं स्वीकार किया है।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
-पद, 53अर्थात् ब्रह्म और जीव दोनों, वास्तव में, एक ही है, किंतु भ्रमवश दोनों के नीचे
हिंदुस्तानी पत्रिका
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जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
पीर और गुरु का भेदजायसी के गुरु के विषय में ऊपर मुबारकशाह बोदले का नाम लिया
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
कबीर के जन्म से लेकर मृत्यु तक कई अवधारणाएं प्रचलित हैं. कबीर पंथी साहित्य के अनुसार
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
राष्ट्रीय जीवन में सूरदास, श्री शान्ता कुमार
ऐसे अन्धकारमय युग में सूरदास का उदय हुआ। रामानन्द, वल्भ, चैतन्य, कबीर, दादू, मीराबाई, तुलसीदास, नरसी
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
असदबेग को लीजिए, चाहे केशवदास को। दोनों ही बताते है कि वीरसिंह के रणभूमि में पहुँचने