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सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
प्रेम बचन का रूप मनोहर था जैसा सब बाक़ी है(4)
ज़माना
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संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
भजि नारदादि सुकापि बंदित चरन पंकज भामिनी। भजि भजसि भूषण पिया मनोहर, देव देव सिरोमनि।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
होली खेलत स्याम मनोहर, आवो देखन जाइएमोए रंग रंगो सब कामिनि जामों लाल रजइए
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
कुरुबिंद मैं न भानु-सारथी-बरन मैं।। मोहर मनोहर मैं कौंहर मैं है न ऐसी,
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मधुमालती नामक दो अन्य रचनाएँ - श्रीयुत अगरचंद्र नाहटा
चौपाई।। विधि विरचि ताके वर पाउं। शंकर सुत गणेश मनाउं। चातुर सहचरि सहित रीझाउं। मधुमालती मनोहर गाउं।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
जो माँगहु सो देहुँ मनोहर यहै बात तेरी खोटी। सूरदास को ठाकुर ठाढ़ो हाथ लकुटि लिए छोटी।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मंझनकृत मधुमालती - श्री चंद्रबली पाँडे एम. ए.
सिंघल पदुमावती भो रूपा। प्रेम कियो है चतउर भूपा।। मधुमालती होइ रूप दिखावा। प्रेम मनोहर होइ तहँ आवा।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि माघ और उनका काव्य सौन्दर्य- श्री रामप्रताप त्रिपाठी, शास्त्री
आयुर्वेद अथवा वैद्यक शास्त्र की सिद्धान्तसम्बन्धी छोटी-मोटी बातों की चर्चा कवि ने अनेक अवसरों पर की
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
जोगौटा रुद्राख अधारी।।चक्र के संबंध में डॉ. अग्रवाल ने टिप्पणी ने कहा है चक्र सभत छोटा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
अर्थात् जो मनुष्य प्रेममार्ग का पथिक होकर पार पहुच गया वह फिर मिट्टी से ही मिलते
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
प्रणति, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
लोक-जीवन ही सूरसागर की लीलाओं की मुख्य सामग्री है। बिसातिन, दही बेचनेवाली, नट-बाजीगर, मेला, पनघट आदि
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
लोकगाथा और सूफ़ी प्रेमाख्यान
परन्तु ऐसी दशा में यह आपत्ति की जा सकती है कि यदि ‘लोकगाथा’ शब्द को हम