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सूफ़ी लेख
पैकर-ए-सब्र-ओ-रज़ा “सय्यद शाह मोहम्मद यूसुफ़ बल्ख़ी फ़िरदौसी”
आपका इंतिक़ाल मे’यादी बुख़ार की वजह से हुआ। यूसुफ़ बल्ख़ी की बेटी बीबी क़मरुन्निसा बल्ख़ी अपने
अब्सार बल्ख़ी
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
पहला इ’ल्म गोया ख़ुदा का इ’ल्म है, और दूसरा ख़ुदा की तरफ़ से बंदा को अ’ता
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
‘‘सैंकड़ों आदमी ऐसे देखे जो ठाठ में रईसों का मुक़ाबला करते थे, लेकिन आज उनकी हस्ती
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा गेसू दराज़ चिश्ती अक़दार-ए-हयात के तर्जुमान-डॉक्टर सय्यद नक़ी हुसैन जा’फ़री
सूफ़िया के हाँ बिल-उ’मूम और चिश्ती मशाइख़ के यहाँ बिल-खुसूस ख़र्च करना और कुछ बाक़ी न
मुनादी
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हज़रत शैख़ जमालुद्दीन कोल्हवी
मैंने अभी इसका कुछ जवाब न दिया था कि शैख़ नूरुल-हसन साहिब एक हिंदू रईस-ज़ादा को
निज़ाम उल मशायख़
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हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
ज़िक्र से मुराद ख़ुदा-वंद तआ’ला की याद है। इसकी चार क़िस्में हैं: 1 ज़बान पर हो