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सूफ़ी लेख
हज़रत मीराँ जी शम्सुल-उ’श्शाक़
उर्दू ज़बान की सर-परस्ती सब से ज़ियादा सूफ़िया ने की है।इसलिए कि उनका राब्ता अ’वाम और
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
अबू मुग़ीस हुसैन इब्न-ए-मन्सूर हल्लाज - मैकश अकबराबादी
मुजाहिद का क़ौल है कि ऐ मोहम्मद सल्लल्लाहु तआ’ला अ’लैहि वसल्लम हमने तुमको और नूह को
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी लेख
अज़ीज़ सफ़ीपुरी और उनकी उर्दू शा’इरी
अज़ीज़ सफ़ीपुरी की ग़ज़लों के मुतालि’ए से ये बात अज़ ख़ुद ज़ेहन पर मुनकशिफ़ होती है
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
ख़ुलासा-ए-कलाम ये कि आपकी ज़ात जामे’–ए-कमालात सुवरी-ओ-मा’नवी थी। या यूँ कहें कि इस पर्दा के पीछे
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
गो हम अपने मौज़ूअ’ से कुछ अलग ज़रूर हो रहे हे हैं लेकिन ये इसलिए कि
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
(4) हज़रत गेसू दराज़ से चिश्तिया सिलसिला की अ’मली तारीख़ का एक नया बाब शुरूअ’ होता
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के अव्वलीन सरपरस्त हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया
ख़्वाजा क़ुतुबउद्दीन बख़्तियार-ए-काकी जो दिल्ली से अजमेर तशरीफ़ लाए थे, ख़्वाजा साहब के हुक्म के मुताबिक़