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सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
मुनादी
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
जिस्म की नज़र आने वाली आँख तस्वीर खींचने का कैमरा है,रास्ता दिखाने का वसीला है लेकिन
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
लोग मानते हैं कि ना’त कहना दो-धारी तलवार पर चलने जैसा है, क्योंकि यह पैगम्बर हज़रत
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
अपने मुर्शिद के हुक्म से आपने काको में ही हिदायत और रूहानियत का केंद्र स्थापित किया
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
सूफ़ी और ज़िंदगी की अक़दार
हम भूके हैं, नंगे हैं इसलिए हमारे नज़दीक इस्लाम की ता’लीम ये है कि ख़ूब मेहनत
ख़्वाजा हसन निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ अबुल हसन अ’ली हुज्वेरी रहमतुल्लाह अ’लैहि
दूसरा पर्दा तौहीद का है।तौहीद तीन तरह पर होती है।(1) या’नी ख़ुदावंद तआ’ला को ख़ुद भी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
क़व्वाली के मूजिद
क़व्वाली और समा’अ में फ़न और सुलूक का फ़र्क़ है, फ़न में ला-महदूदियत है और सुलूक
अकमल हैदराबादी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
बादशाह का ज़िहन क़ुदरतन शे’र के ज़ाहिरी मफ़्हूम की तरफ़ गया और क़रीब था कि शाइ’र
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के श्लोक- महमूद नियाज़ी
हज़रत जाइसी के क़ौल से दो अहम बातें मा’लूम होती हैं। पहली बात तो ये है
मुनादी
सूफ़ी लेख
रेडियो और क़व्वाली
एक सबसे बड़ी अफ़सोसनाक बात ये है कि ख़ुद क़व्वाली के फ़नकार भी अभी तक क़व्वाली