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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
मुस्तक़िल-मिज़ाजी से हालात का मुक़ाबला करना चाहिए।मर्द न तर्सद ज़े-फ़क़्र शेर न तर्सद ज़े-ज़ख़्म ।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
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सुल्तान सख़ी सरवर लखदाता-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
आपकी शादीआप चूँकि सैलानी फ़क़ीर थे।एक जगह का मुस्तक़िल क़ियाम पसंद-ए-ख़ातिर न था।जब लोगों का हुजूम
सूफ़ी
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क़ुतुबल अक़ताब दीवान मुहम्मद रशीद उ’स्मानी जौनपूरी
इस से फ़राग़त के बा’द शैख़ के इशारे से मौज़ा’ सकलाई परगना अमेठी ज़िला’ बारहबंकी में
हबीबुर्रहमान आज़मी
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हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
अमीर ख़ुसरौ को फ़न्न-ए-मौसीक़ी में एक नायक की हैसियत हासिल थी अगरचे नायक के लक़ब के
उमैर हुसामी
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शहाबुद्दीन पीर-ए-जगजोत
जैठली में क़ियाम : जब बादशाहत से दूर हो कर रूहानियत की जानिब माइल हुए तो
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
बैअ’तहज़रत मौलाना साहिब सन1165 हिजरी सन 1751 ई’स्वी में औरंगाबाद से हिजरत कर के दिल्ली में
मुनादी
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अमीर ख़ुसरो की सूफ़ियाना शाइ’री - डॉक्टर सफ़्दर अ’ली बेग
काएनात का हुस्न हर फ़र्द-ए-बशर को मस्हूर कर लेता है और उसका दिल मोह लेता है
फ़रोग़-ए-उर्दू
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
बद्र-उल-हसन एमादी लिखते हैं कि-‘‘उनके सम्मान में फ़र्क़ आ गया, बुढ़ापा बुरी बला है, आफ़ियत की
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : ख़्वाजा अमजद हुसैन नक़्शबंदी
और बहुत जल्द आप उस इल्म में कामिल ओ अकमल हुए। हिदाया और वक़ाया जैसी किताब
रय्यान अबुलउलाई
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वेदान्त - मैकश अकबराबादी
माया जिहालत नहीं है बल्कि एक मुस्तक़िल वुजूद है जो अपनी ज़ात से ना-क़ाबिल-ए-ता’रीफ़ और पुर-असरार