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सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
इसी तरह दरियापंथ में भी मोह का बड़ा ही अच्छा चित्रण प्रस्तुत हुआ है। दरिया साहब
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके,लोभ मोह अभिमाना।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी काव्य में भाव ध्वनि- डॉ. रामकुमारी मिश्र
8. स्मरण 39. मोह, जड़ता, मूर्छा, स्वप्न 13
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
मोह चितऊँ तो मेरी भगति जाई। उभय संदेह मोहि रैन दिन व्यापही,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
90 हेली मोह चैन नहीं दिन रात91 हम पर मोहन बुरकी डारी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
कहैं खुसराम रे बैठ मती यह मोह महा रथ अति क्रोध को मारयो कोलाहल क्यो
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
तरुन बाल लाल संग खेलत नेह रंगन में सानीमोह गुलाल हेत पिचकारी रस सुकंध जग-जानी
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
बन्दउँ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नर-रूप हरि। महा मोह तम पुंज, जासु वचन रवि-कर-निकर।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
अब तक व्यक्ति अपने मन के कुटुंब- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का पालन पोषण करता
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
आप अपने समय के प्रसिद्ध सूफ़ी थे .आप तैमूर के आक्रमण के समय दिल्ली से जौनपुर
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
भ्रमर-गीतः गाँव बनाम नगर, डॉक्टर युगेश्वर
बालक कृष्ण गाँव हैं। राजा कृष्ण नगर, राजधानी। कृष्ण कंस को मारकर कंस नहीं बने, किन्तु