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सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
हम गमज़दों की मौत क्या और क्या हमारी ज़िन्दगीबस हिज्र की शब मौत है और वस्ल के दिन ज़िन्दगी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
मुनादी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यद शाह अ’ज़ीज़ुद्दीन हुसैन मुनएमी
दीदः-ए-दिल शुद अज़ ग़ममश पुर-नमयकसर अज़ मौत-ए-आँ ख़जिस्त:-सिफ़ात
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
इ’श्क़ है अस्ल-ए-हयात मौत है उस पर हरामइ’श्क़ दम-ए-जिब्रईल, इ’श्क़ दिल-ए-मुस्तफ़ा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़्दूम दरवेश अशरफ़ी चिश्ती बीथवी
मौत तज्दीद-ए-मज़ाक़-ए-ज़िंदगी का नाम हैख़्वाब के पर्दे में बे-ख़्वाबी का इक पैग़ाम है
मुनीर क़मर
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
ये ख़ुशी फैली मिरे ग़म से कि शादी मर्ग हैंज़िंदगानी हो गई है मौत से बद-तर मुझे
सूफ़ीनामा आर्काइव
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ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत हसन जान अबुल उलाई
दोश दर गोशम सदा आमद ज़े हक़ चूँ अर्ग़नूनऐ हसन हरगिज़ न-याबी राज़-ए-मौत-ओ-ज़िंदगी
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
ये नींद जो आवत है मौत की याद दिलावत है।। धन पर जो बल करते हैं मूरख हैं इतराते हैं।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
मर्द-ए-ख़ुदा का अ’मल इ’श्क़ से साहिब-ए-फ़रोग़इ’श्क़ है अस्ल-ए-हयात, मौत है उस पर हराम
मुनादी
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शाह नियाज़ बरैलवी ब-हैसिय्यत-ए-एक शाइ’र - मैकश अकबराबादी
जो कुछ सुना था सो है फ़साना जो कुछ कि देखा सो ख़्वाब देखाकहाँ ये इ’श्क़ का मरना कहाँ वो मौत सर पड़ना
मयकश अकबराबादी
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हज़रत शाह वजीहुद्दीन अलवी गुजराती
महव-ए-दीदार-ए-हक़ वजीहुद्दीनआँ ब-मौत-ओ-हयात-ए-ख़ुद वासिल
मआरिफ़
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दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
शशुमः मौत को भुलाए मत रख।हफ़्तुमः जब कि तूने किसी के हक़ में नेकी की हो तो उस को भूल जा