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सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
शतरंज हिन्दुस्तान की ईजाद है।मौसीक़ी की जो तरक़्क़ी हिन्दुस्तान में हुई और कहीं नहीं हुई।
फ़रोग़-ए-उर्दू
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क़व्वाली का माज़ी और मुस्तक़बिल
क़व्वाली को हमारे बुज़ुर्गों ने इस्ति’माल किया तो उसकी बुनियादी वुजूह दो थीं।एक ये कि मौसीक़ी
मुनादी
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क़व्वाली और अमीर ख़ुसरो – अहमद हुसैन ख़ान
क्या क़व्वाली, मौसीक़ी, गाना बजाना और साज़-ओ-मज़ामीर से हज़ उठाना इस्लामी रू से मम्नूअ’ है? इस
सूफ़ीनामा आर्काइव
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बिहार में क़व्वालों का इतिहास
यूँ तो पटना में दर्जनों तबला बजाने वाले हुए, मगर उन में ये दोनों हमेशा चर्चा
रय्यान अबुलउलाई
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पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’
हम पर कोई मरता है तो हम में कुछ हैपीर नसीर में बहुत सी ख़ूबियाँ थी।
रय्यान अबुलउलाई
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हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
अमीर ख़ुसरो ने इस ज़बान को नया रंग-रूप दिया।एक तरफ़ जहाँ उन्होंने अपनी शायरी मैं फ़ारसी