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हज़रत बंदा नवाज़ गेसू दराज़ - सय्यिद हाशिम अ’ली अख़तर
1. खाना शुरूअ’ करे तो बिस्मिल्लाह कहे2.तलब-ए-रिज़्क़ में ग़मगीन न रहे
मुनादी
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सूफ़ी क़व्वाली में महिलाओं का योगदान
किसी को रिज़्क़ क़िस्मत से ज़्यादा मिल नहीं सकताख़ुदा ने नाम लिख रखा है सबका दाने दाने पर
सुमन मिश्रा
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दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
अव़्वलः तौबा गुनाहों को खा जाती है।दोउमः झूट रिज़्क़ को चट कर जाती है।
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
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अस्मारुल-असरार - डॉक्टर तनवीर अहमद अ’ल्वी
हक़ीक़त हिजाब दर हिजाब है। मा’मूलात फ़ाइ’ल पर हिजाब में,अफ़्आ’ल सिफ़ात पर, सिफ़ात ज़ात पर और
सूफ़ीनामा आर्काइव
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हकीम सफ़दर अ’ली सफ़ा वारसी
इ’बरत बहराइची साहिब लिखते हैं कि ख़त में ग़ालिबन ख़ुर्द-ओ-नोश का सामान तलब किया था। मुलाज़िम