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सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयोदामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
पीर-ए-दस्त-गीर हज़रत अब्दुल क़ादिर की करामतों का बयान
आपकी करामतें-ओ-कमालात इस क़दर हैं कि हीता-ए-बयान में आना दुश्वार है। मगर तबर्रुकन कुछ करामतें बयान
हसरत अजमेरी
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हज़रत गेसू दराज़ हयात और ता’लीमात
मियाँ यमीनुर्रहमान ने हज़रत के विसाल की ख़बर मियाँ लहरा को पहुँचाई कि मख़दूम का इंतिक़ाल
निसार अहमद फ़ारूक़ी
सूफ़ी लेख
ज़ियाउद्दीन बर्नी की ज़बानी हज़रत महबूब-ए-इलाही का हाल
कोई मोहल्ला ऐसा ना था जहाँ पर महीना बीस रोज़ के बा’द नेक लोगों की मज्लिस
ख़्वाजा हसन सानी
सूफ़ी लेख
कलाम-ए-‘हाफ़िज़’ और फ़ाल - मौलाना मोहम्मद मियाँ क़मर देहलवी
जब फ़ाल निकालने का इरादा हो पहले मा’लूम करें कि दिन या रात के चार पहरों
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
शैख़ हुसामुद्दीन मानिकपूरी
ता’लीम और बैअ’त ईब्तिदाअन आपने मुरव्वजा उ’लूम अपने वालिद और दीगर मक़ामी असातिज़ा से हासिल किए
उमैर हुसामी
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ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
हज़रत ख़्वाजा साहिब अजमेरी ने हिन्दुस्तान तशरीफ़ लाने के बा’द अजमेर को अपना मर्कज़ क़रार दिया
ख़्वाजा हसन सानी
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
बख़्शी ख़ाँ क़व्वाल और शब्बू खाँ क़व्वाल, यह दोनों सगे भाई थे। ये लोग नवादा के