आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सेवक"
सूफ़ी लेख के संबंधित परिणाम "सेवक"
सूफ़ी लेख
खुमाणरासो का रचनाकाल और रचियता- श्री अगरचंद नाहटा
दलपति सुं कीजे दया, सेवक जाँणी सकत्ति।।6।। कवित्त
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
माथुर बिप्र ककोर-कुल लह्यौ कृष्न-कवि नावँ। सेवक हौँ सब कबिनि कौ वसत मधुपुरी गावँ।।25।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
कहियत है सुरलोक बसत, सखि! सेवक सदा पराए। चातक कुल की पीर जानि कै, तेउ तहाँ तें धाए।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
वह गुलाम तूँ साहिब ईस, तासौ इतनी कीजहिं रीस। प्रभु सेवक की भूल विचारि, प्रभुता यहै सु लेइ सुह्मारि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
मीराबाई और वल्लभाचार्य
कृष्णदास अधिकारी की वार्ता से पता चलता है कि आचार्य महाप्रभु के कुछ निज सेवक मीराबाई
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर की सामाजिक सोच, डॉक्टर रमेश चन्द्र सिंह
(2) सूर ने यह भी माना है कि ज्ञान को कंस का नहीं, कृष्ण का सेवक
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
आचार्य चन्द्रबली पांडे एवं उनका तसव्वुफ अथवा सूफ़ीमत डॉ. इन्द्र पाल सिंह
सूफीमत पर लिखा गया पांडे जी का यह ग्रंथ अपने विषय पर आप्त और प्रमाणिक है।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
ओरगाना का अर्थ डॉ. अग्रवाल ने अधिपति किया है। ओरग<ओलग्ग<अब-लागू, सेवा करना, चाकरी करना है। (पाइअ
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
वर-कथाओं की तरह यहाँ शाप-कथाएँ भी हैं। नारद भगवान् के शाप के परिणाम स्वरूप ही मिरासी
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
कहि रविदास कवन गति मोरी।।अर्थात् दूध को तो बछडे ने गाय के थन में ही गदा
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
सेवक सूर लिखन कौ आँधौ, पलक कपाट अरे।।पता नहीं मथुरा में स्याही चुक गई या कागज
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार
साहूकार के बेटे के प्रति रसखान की आसक्तिरसखान के जीवन की एक प्रमुख घटना की ओर
कृष्णचन्द्र वर्मा
सूफ़ी लेख
रसखान के वृत्त पर पुनर्विचार - कृष्णचन्द्र वर्मा
साहूकार के बेटे के प्रति रसखान की आसक्तिरसखान के जीवन की एक प्रमुख घटना की ओर
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
देखों, जब किसी के हाथ, पाँव और भुजा सूख जाते हैं, अथवा अर्द्धांग पक्षाघात होने के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
कबीर में कुत्ते जैसी खामी, निर्भरता और आश्रयभावना कूट कूट कर भरी हुई है। भगवान पर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
औघट शाह वारसी और उनका कलाम
देवा शरीफ़ पहुँच कर आप वहां के वातावरण से बड़े प्रभावित हुए. आप ने हज़रत वारिस