परिणाम "مرگ"
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एक दिन बर्बाद होगा तुंद बाद मर्ग सेजलती हैं इस ग़म से शम्माएँ ख़ाना-ए-आबाद में
मर्ग जिस को जहाँ में कहते हैंनाम है मेरी ज़िंदगानी का
हो चुकीं 'ग़ालिब' बलाएँ सब तमामएक मर्ग-ए-ना-गहानी और है
पहुँच जाए अगर मुझ सख़्त-जाँ तकतो माँगे मौत मर्ग-ए-ना-गहाँ तक
क्या दिल जला रहा है पस-ए-मर्ग है दुआ'ठंडा रहे चराग़ इलाही मज़ार का
बहार-ए-ज़िंदगानी का लुत्फ़ देखा और देखोगेकिसी का 'ऐश मर्ग-ए-ना-गहानी देखते जाओ
तेरी याद ऐसी है बा-वफ़ा पस-ए-मर्ग भी ना हुई जुदातेरी याद में हमीं मिट गए तेरी याद दिल से मिटी नहीं
है मर्ग-ए-इश्क़ हसती-ए-जावेद की दलीलऐ दिल जफ़ा-ए-यार का शिकवानः चाहिए
मर्ग के बा'द है बेदार दिलों को आरामनींद भर कर वही सोएगा जो जागा होगा
मेरा मक़ाम पस-ए-मर्ग राह-गुज़ार रहामैं वो ख़ाकसार हूँ कि ब्रहम मेरा मज़ार रहा
ग़फ़लत कफ़ील-ए-उम्र ओ 'असद' ज़ामिन-ए-नशातऐ मर्ग-ए-ना-गहाँ तुझे क्या इंतिज़ार है
आरज़ू है कि तिरा ध्यान रहे ता-दम-ए-मर्गशक्ल तेरी नज़र आए मुझे जब आए अजल
बा'द-ए-मर्ग आता नहीं बहर-ए-ज़ियारत भी कभीबेवफ़ाई देख ली और बद-गुमानी देख ली
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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