परिणाम "निकहत"
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’ऐश-ओ-राहत से मिलोनूर-ओ-निकहत से मिलो
निकहत-ओ-नूर में डूबी हुई रातो अफ़्सोसये फ़ुसूँ-कारो हसीं ख़्वाब कहाँ फिर होंगे
गुलशन-ए-हुस्न-ए-यार में करते हैं जो तलाश-ए-कैफ़-ओ-सुकूँलाख है बरहम नज़्म-ए-दो-आलम ज़ुल्फ़ में निकहत आज भी है
रँग चाहे अगर उस बाग़ में आज़ादी कानिकहत-ए-गुल की तरह शौक़-ए-सफ़र पैदा कर
आवरगी-ए-निकहत-ए-गुल से है इशाराजामा से जो बाहर है वो दीवाना है उस का
गर नहीं निकहत-ए-गुल को तिरे कूचे की हवसक्यूँ है गर्द-ए-रह-ए-जौलान-ए-सबा हो जाना
न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनीतुझे अटखेलियाँ सूझी हैं हम बे-ज़ार बैठे हैं
फ़ज़ा-ए-बाग़-ए-जिनाँ में जा कर जो बन के बाद-ए-सबा चला वोतो उस की निकहत से गुल चमन में ख़ुतन में आहू भटक रहा है
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