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कलाम
मैं देखा शान अहमद की बिला-शक मेरे मुर्शिद मेंमेरा ईमान-ए-कामिल बन गया मुर्शिद की सूरत में
गुलाम रसूल नाइब
कलाम
विलायत इम्तिहान-ए-दोस्त में साबित क़दम रहनाबलाओं से न घबराना करामत इस को कहते हैं
मौलाना हिदायत रसूल
कलाम
ख़ुदा से या रसूल-अल्लाह बंदों की सिफ़ारिश करकि बरसे सब कहें बारान-ए-रहमत ख़ूब सा झर-झर
शाह तुराब अली क़लंदर
कलाम
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भरन कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
का’बा-ए-अबरू दिखा औ बुत ख़ुदा के वास्तेशक्ल-ए-मिज़्गाँ हाथ उठाए हों दु'आ के वास्ते
ख़वाजा वज़ीर लखनवी
कलाम
जला ही देगा तिफ़्ल-ए-अश्क दामान-ए-नज़र अपनाकि इक आतिश का पर काला है ये लख़्त-ए-जिगर अपना
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
'मज्ज़ूब' तू भी ग़ैर-ए-ख़ुदा से लगाए दिल'इश्क़-ए-बुताँ है बंदा-ए-हक़ ना-सज़ा-ए-दिल