सूफ़ी साहित्य
सूफ़ी अदब जो नस्र और शायरी दोनों पर मुश्तमिल है, ये इक़दार तसव्वुफ़ में अक़्ल-ओ-हुस्न , इन्साफ़-ओ-मुहब्बत और तालीम-ओ-तर्बीयत का हिस्सा हैं, तसव्वुफ़ उसी ख़ैर की तरफ़ मुतवज्जा करता है।
मुग़लिया सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ की साहिबज़ादी और सूफ़ी ख़ातून, मुसन्निफ़ा शाइ’र
मुग़्लिय्या सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ और मलिका मुमताज़ के बड़े साहिबज़ादे जिन्हों ने सूफ़ियाना रिवायत को मज़ीद जिला बख़्शी, उनके तअ’ल्लुक़ात सिखों के गुरुओं से निहायत ख़ुश-गवार थे