जहाँ आरा बेगम के सूफ़ी साहित्य
मूनिस-उल-अर्वाह
मुईन-उल-अर्वाह तर्जुमा मूनिस-उल-अर्वाह मुतर्जिम: मौलवी अबदुस्समद बिसमिल्लाहिर रहमानिर रहीम नहमदुहु व नुसल्ली अ’ला रसूलिहिल करीम व अ’ला आलिही व अस्हाबिही वाजिबिल-तकरीम वल-ता’ज़ीम अ’म्मा बाद आ’सी-ए-पुर मआ'सी मुहम्मद अ’बदुस्समद कलीम क़ादरी
रिसाल:-ए-साहिबिया
रिसाल:-ए-साहिबिया (अलिफ़) तालीफ़: शहज़ादी जहाँ आरा बिन्त-ए-शाह-जहाँ अनुवाद: डाक्टर तनवीर अहमद अ’लवी बे-शुमार ता’रीफ़ें और अन-गिनत सताइशें उस ख़ुदा के लिए हैं जो अपनी ज़ात में बे-मिसल-ओ-यकता है और जिस की इलाही सिफ़ात में तमसील-ओ-तश्बीह की कोई गुंजाइश
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere