Sufinama

इजाज़त पर अशआर

इजाज़त हो तो हम इस शम्अ'-ए-महफ़िल को बुझा डालें

तुम्हारे सामने ये रौशनी अच्छी नहीं लगती

पुरनम इलाहाबादी

आप की मज्लिस-ए-आ’ली में अ’लर्रग़्म रक़ीब

ब-इजाज़त ये गुनहगार उठे और बैठे

अ’ब्दुल रहमान एहसान देहलवी

टुक शिकायत की अब इजाज़त हो

नहीं रुकती ज़बान पर आई

एहसनुल्लाह ख़ाँ बयान

मिली सज्दा की इजाज़त जूँही पासबाँ से पहले

मुझे मिल गई ख़ुदाई तेरे आस्ताँ से पहले

अफ़क़र मोहानी

वो आए हैं ज़रा मैं बात कर लूँ

इजाज़त दिल-ए-दर्द-आश्ना दे

मुज़्तर ख़ैराबादी

अब इजाज़त दफ़्न की हो जाए तो जन्नत मिले

यार के कूचे में हम ने जा-ए-मदफ़न की तलाश

अकबर वारसी मेरठी

गर इजाज़त हो तो परवाना की तरह

सदक़ा होने को तुम्हारे आइए

मीर मोहम्मद बेदार

मुझे गर्म-ए-नज़्ज़ारा देखा तो हँस कर

वो बोले कि इस की इजाज़त नहीं है

हसरत मोहानी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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