दिल-ए-मायूस को देता है सहारा दाता
रोचक तथ्य
منقبت درشان داتا گنجِ بخش شیخ علی ہجویری (لاہور۔پاکستان)
दिल-ए-मायूस को देता है सहारा दाता
ऐसा दाता है हक़ीक़त में हमारा दाता
की मदद हक़ ने उसे जब भी पुकारा दाता
तेरी ता'लीम का सदक़ा है ये सारा दाता
ऐ'न मुम्किन है कि अल्लाह मुझे बख़्श ही दे
क़ब्र से ले के उठूँ नाम तुम्हारा दाता
एक दिन मंज़िल-ए-तौहीद पे पहुँचाएगा
इस तिरी निस्बत-ए-आ'ली का सहारा दाता
आज अनवार-ए-मोहम्मद से फ़ज़ा है जगमग
अल्लाह अल्लाह ये पुर-नूर नज़ारा दाता
ग़म-ए-दुनिया के झमेलों से निकल जाऊँ अभी
मुझ को काफ़ी है तिरा एक इशारा दाता
है शब-ओ-रोज़ तसव्वुर में ज़ियारत हासिल
सामने है मिरे दरबार तुम्हारा दाता
शहर-ए-लाहौर पे क्यूँ बारिश-ए-अनवार न हो
जल्वा-गर है हसनी राज-दुलारा दाता
मेरे होंटों पे अगर नाम तुम्हारा आ जाए
लेने आए मुझे तूफ़ाँ में किनारा दाता
ग़ौस-ए-आ'ज़म के हवाले से 'नसीर' आया है
इक नज़र उस पे भी हो जाए ख़ुदा-रा दाता
- पुस्तक : कुल्लियात-ए-नसीर गिलानी (पृष्ठ 328)
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