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दकनी सूफ़ी काव्य
दुर्रूल-मजालिस
उटा यक बाप यक मादर सूँ फ़रज़ंदउनेनो कूँ न था कपड़ा सो पैवंद
अब्दुल्ला हाशमी
कलाम
दिल का रंगन रंगता नहीं कपड़ा रंगिया तो क्या हुआक़ाज़ी किताबाँ खोल के मसअले बतावन और के
सचल सरमस्त
पद
सुनता नहीं धुन की ख़बर अनहद का बाजा बाजता
मरहम नहीं उस हाल से काजी हुआ तो क्या हुआजोगी दिगंबर सेवड़ा कपड़ा रंगे रंग लाल से
कबीर
सूफ़ी लेख
कर्नाटक के संत बसवेश्वर, श्री मे. राजेश्वरय्या
बसव ने वृत्ति को न जाति-सूचक ठहराया और न किसी की उच्चता या नीचता का धोतक।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
पैग़ंबर-ए-इस्लाम का इर्शाद-ए-गिरामी है कि क़ियामत के दिन अल्लाह अपने बंदों से पूछेगा कि मैं भूका