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ना'त-ओ-मनक़बत
जन्नत फ़ज़ा है ऐसी मदीना की सरज़मींमहकेंगे हश्र तक गुल-ओ-गुलज़ार-ए-मुस्तफ़ा
अख़तर ख़ैराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ हुस्न-ए-चमन तेरी हदीस-ए-लब-ओ-रुख़्सारहर फूल की पत्ती गुल-ओ-गुलज़ार पढ़े है
सफ़ीउल आलम शहबाज़ी
ग़ज़ल
नज़र में जिस की फिरती होवे उस ख़ूँ-ख़्वार की सूरतउसे हरगिज़ न ख़ुश आवे गुल-ओ-गुलज़ार की सूरत
ख़्वाजा रुक्नुद्दीन इश्क़
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ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
गुल-ए-बुस्तान-ए-मा'शूक़ी मह-ए-ताबान-ए-महबूबीनिज़ामुद्दीन सुल्तान-उल-मशाइख़ जान-ए-महबूबी
हसरत अजमेरी
ना'त-ओ-मनक़बत
मौसम-ए-गुल मौसम-ए-गुलज़ार होना चाहिएहर घड़ी ज़िक्र-ए-शह-ए-अबरार होना चाहिए
शमीम अंजुम वारसी
ग़ज़ल
गुल-बदामाँ गुल सरापा गुल ही गुल है ख़ू-ए-दोस्तबल्कि वो गुल ही नहीं जिस में न हो ख़ुशबू-ए-दोस्त
महमूद आलम
ग़ज़ल
माइल हूँ गुल-बदन का मुझे गुल सीं क्या ग़रज़काकुल में उस के बंद हूँ सुम्बुल सीं क्या ग़रज़
सिराज औरंगाबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
शगुफ़्तः शुद गुल-ए-हमरा-ओ-गश्त बुलबुल मस्तसला-ए-सर-ख़ुश ऐ सुफि़यान-ए-बाद:-परस्त
हाफ़िज़
नज़्म
क़ौमी यक-जेहती
ख़ार-ओ-ख़स ग़ुंचा-ओ-गुल बर्ग-ओ-शजर शाख़-ओ-समरसब गुलिस्ताँ के लिए हुस्न का गंजीना हैं