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सूफ़ी लेख
हज़रत मुल्ला बदख़्शी- पंडित जवाहर नाथ साक़ी देहलवी
हक़ ज़ाहिर शुद ग़ुबार-ए-कुलफ़त हमःरफ़्ततारीख़-ए-जुलूस-ए-शाह-ए-औरंग मरा
निज़ाम उल मशायख़
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- तीसरी दास्तान
अमीर जल्दी से सवारी में जा बैठे। शाही जुलूस तेज़ी से आपस लौट चला।।। 8 ।।
लियोनिद सोलोवयेव
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ना'त-ओ-मनक़बत
निकला वो ज़ुल-जनाह ’अलम के जुलूस मेंकर लो 'नसीर' बढ़ के ज़ियारत हुसैन की
पीर नसीरुद्दीन नसीर
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
करना=उसी प्रकार का दूसरा बाजा, जिसमें चार एक साथ बजाए जाते हैं। अबुल फजल ने अकबर
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
चादर
जुलूस-ए-क़ादिरी ले कर चला है क़ादिरी तोहफ़ाये चादर ग़ौस-ए-आ'ज़म शाह-ए-जीलानी की चादर है
शकील बदायूँनी
सूफ़ी लेख
उ’र्स-ए-बिहार शरीफ़
5 तारीख़ दिन के चार बजे बिहार की पुलिस हज़रत मख़्दूम-ए-जहाँ के आस्ताना पर चादर ले
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
भला इस जुलूस को देखो और पंखे को देखो। बाँस की खिंचियों का बड़ा सा पंखा
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
सूफ़ी लेख
जाहरपीरः गुरु गुग्गा, डा. सत्येन्द्र - Ank-2,1956
इसी संबंध में पं. झाबरमल्लजी ने कुछ अन्य रूप भी गोगाजी की कथा के दिये है।
भारतीय साहित्य पत्रिका
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
जलती हुई मशअ’लें लेकर पहरेदार तोपों की तरफ़ दौड़ पड़े। अमीर का चेहरा घबराहट से बिगड़
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
हज़रत शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती
शाह फ़रीदुद्दीन अहमद चिश्ती की रूहानी तबीयत बचपन ही से मख़्दूमा बीबी कमाल की ओर माइल
रय्यान अबुलउलाई
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
"फिर ख़ोजा नसरुद्दीन?... इस में भी ख़ोजा नसरुद्दीन? हर जगह ख़ोजा नसरुद्दीन? जब कि तुम..." इतना
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह - श्री अविनाश कुमार श्रीवास्तव
मलिक जीवन के यहाँ दो दिन रहने के बाद 9 जून 1659 को प्रातः- काल दारा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अभागा दारा शुकोह
मलिक जीवन के यहाँ दो दिन रहने के बाद 9 जून 1659 को प्रातः- काल दारा
अविनाश कुमार श्रीवास्तव
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह अहमद हुसैन चिश्ती शैख़पूरवी
ख़्वाजा अबदुल्लाह चिश्ती के बाद ख़ानवादा ए मौदूदिया को हज़रत ताज महमूद हक़्क़ानी से ख़ूब शोहरत