आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "तकब्बुर"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "तकब्बुर"
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
तकब्बुर-ओ-अनानियत से बचने और ख़ाकसारी की कैसी दिल-फ़रेब तलक़ीन फ़रमाते हैं।तीनत आदम की ख़ाकसारी है।
मुनादी
सूफ़ी लेख
दाता गंज-बख़्श शैख़ अ'ली हुज्वेरी
हफ़्तुम: पशेमानी सख़ावत को खा जाती है।हश्तुमः तकब्बुर ’इल्म को खा लेता है।
डाॅ. ज़ुहूरुल हसन शारिब
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
वाँ कि पेशश ब-नेहद ताज-ए-तकब्बुर ख़ुर्शीदकिब्रियाईस्त कि दर हश्मत-ए-दर्वेशान अस्त
हाफ़िज़
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "तकब्बुर"
ना'त-ओ-मनक़बत
पीर नसीरुद्दीन नसीर
कलाम
नाज़ाँ शोलापुरी
सूफ़ी लेख
सतगुरू नानक साहिब
नानक आदमी थे और शक्ल-ए-तअ’य्युन में तमाम ज़रूरियात-ए-आदमियत में मशग़ूल नज़र आते थे मगर उनकी आँख
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
वो कम बोलता हो, ताकि दिल में मशग़ूल रहे, और कम खाता हो ताकि फ़िक्र जारी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी कहानी
अयाज़ का अपने पोस्तीन के लिए हुज्रा ता'मीर करना और हासिदों की बद-गुमानी - दफ़्तर-ए-पंजुम
अयाज़ ने जो बहुत अ’क़्लमंद था अपने पुराने पोस्तीन और चप्पलों को एक हुज्रे में लटका
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक शैख़ी ख़ोरे का होंट और मूछों को चर्बी से चिकना करना- दफ़्तर-ए-सेउम
वो तो अपनी दौलत-मंदी का दा’वा करता और उस का मे’दा मूछों पर ला’नत मलामत भेजता
रूमी
सूफ़ी साहित्य
इल्म-ए-लदुन्नी
बा’ज़ आदमी ता’लीम से उलूम हासिल करते हैं और बा’ज़ तफ़क्कुर से।ता’लीम भी तफ़क्कुर का मुहताज