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ना'त-ओ-मनक़बत
तमन्ना है दरख़्तों पर तिरे रौज़ा की जा बैठेक़फ़स जिस वक़्त टूटे ताइर-ए-रूह-ए-मुक़य्यद का
मुज़्तर ख़ैराबादी
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
वो नूर के गले, वो रसीली आवाज़ें, वो सच्ची तानें, वो वक़्त की रागनी ,वो सुहाना
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
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व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
एक ही छलांग में ख़ोजा नसरुद्दीन ने जंगला पार कर लिया।दोनों चनार के दरख़्तों के साये
लियोनिद सोलोवयेव
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
अपनी परवाह मुझे है नहीं, क्योंकि मैं मर चुका हूं! चाहे क़ब्र में लेटूं, चाहे नदी
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा मीर दर्द और उनका जीवन
“अब हम हज़रत ख़्वाजा मीर दर्द के मज़ार की ज़ियारत को जाते हैं! यहाँ से वो
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
हिंदुस्तान की तहज़ीब और सक़ाफ़त में अमीर ख़ुसरो की खिदमात
” अमीर ख़ुसरो फ़ारसी के अव्वल दर्जे के शायर थे और संस्कृत भी बख़ूबी जानते थे।
क़ुर्बान अली
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
इसी तरह बुलबुल का रोना-गाना फ़ारस में तो कुछ अर्थ रखता है, पर यहाँ की बुलबुल
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
समकालीन खाद्य संकट और ख़ानक़ाही रिवायात
आज दुनिया संगीन क़िस्म के ग़िज़ाई बोहरान से नबर्द-आज़मा है, जदीद टेक्नॉलोजी के दौर में तरक़्क़ियाती
रहबर मिस्बाही
सूफ़ी साहित्य
दूसरा बाब - मा'रिफ़त-ए-तासीर-ए-आ’लम और चौथा बाब:- रियाज़त और उस की कैफ़ियत
अगर किसी को फोड़ा, सूजन, सोज़िश या इस तरह की दूसरी बीमारी हो जाए तो सुब्ह
ग़ौस ग्वालियरी
क़िस्सा
क़िस्सा चहार दर्वेश
मुबारक से यह तदबीर सुनकर दिल को ढाढ़स हो गई। उस के गले से लाड किया
अमीर ख़ुसरौ
सूफ़ी साहित्य
मूनिस-उल-अर्वाह
जान कि ये ज़ईफ़ा अदा-ए -फ़राइज़ और वाजिबात और तिलावत-ए-क़ुरआन-ए-मजीद के बाद औलिया-ए-किराम के हालात और
जहाँ आरा बेगम
सूफ़ी कहानी
देहाती का शहरी को तसन्नो' से दोस्त बनाना- दफ़्तर-ए-सेउम
अगले ज़माने में एक देहाती की किसी शहरी से शनासाई हो गई। जब देहाती शहर को