आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "परिंदों"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "परिंदों"
अन्य परिणाम "परिंदों"
ना'त-ओ-मनक़बत
गुलों को रंग-ओ-बू से किस क़दर शादाब रखता हैपरिंदों को 'अजब बाल-ओ-पर परवाज़ बख़्शा है
मुस्तफ़ा ग़ज़ाली
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
इंसानी जज़्बात के इज़हार के लिए इंसान ने जिन फ़ुनून को वज़ा’ किया है उनमें से
उमैर हुसामी
सूफ़ी कहानी
एक लड़के का नक़ारे के ऊंट को ढोल से डराना - दफ़्तर-ए-सेउम
किसी गांव में खेत की हिफ़ाज़त एक लड़का किया करता था और एक छोटा सा ढोल
रूमी
सूफ़ी कहानी
एक शहर को आग लगनी हज़रत-ए-उ’मर के ज़माने में- दफ़्तर-ए-अव्वल
हज़रत-ए-उ’मरऊ के ज़माना-ए-ख़िलाफ़त में एक शहर को आग लगी। वो इस बला की आग थी कि
रूमी
सूफ़ी लेख
क़व्वाली और अमीर ख़ुसरो – अहमद हुसैन ख़ान
फ़न्न-ए-मौसीक़ी या राग बजाए ख़ुद निहायत दिलचस्प फ़न है। आवाज़ की मुख़्तलिफ़ बुलंदियों को सात मदारिज
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी कहानी
एक यहूदी वज़ीर का मक्र–ओ-फ़रेब से नसरानियों में तफ़रक़ा डलवाना - दफ़्तर-ए-अव्वल
ई’साईयों ने उस को इन बुरे हालों में देखा तो उस के दर्द-ओ-मुसीबत पर ज़ार ज़ार
रूमी
सूफ़ी कहानी
हुदहुद के दा’वे पर कव्वे का ता'ना और हुदहुद का जवाब - दफ़्तर-ए-अव्वल
जब सुलैमान की बादशाहत का डंका बजा तो सब परिंदे इताअ'त में हाज़िर हुए जब उन्होंने
रूमी
सूफ़ी साहित्य
इल्म-ए-लदुन्नी
रूह-ए-नातिक़ ना जिस्म है और ना अ’र्ज़ बल्कि वो मज़बूत और ग़ैर फ़ासिद जौहर है।हम दुबारा