आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पसीना"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "पसीना"
कलाम
लहराती है जब ज़ुल्फ़-ए-जानाँ बादल को पसीना आता हैमा'लूम ये होता है जैसे सावन का महीना आता है
नाज़ाँ शोलापुरी
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
एरी सखी मैं तुझ से पूछूं हवा लगे मरजावे।।-पसीना
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
एरी सखी मैं तुझ से पूछूं हवा लगे मरजावे।। -पसीना
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
समस्त
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "पसीना"
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
हितु करि तुम पठयौ लगैं वा बिजना की बाइ।टली तपति तन की तऊ चली पसीना न्हाइ।।593।।
बिहारी
कविता
मौत और घसियारा
पर जब पापी पेट न माना । उसने घास छीलना ठाना ।।ठीक दुपहरी जेठ महीना । सिर से पांवों बहा पसीना ।।