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कवित्त
नटवर बेष साजि मदन लजाने लाल,
चन्द्रकला गाय गीत भ्रमत सनेह सने,बरनत नारदादि जस जनपाल को ।
चंद्रकला बाई
कवित्त
बिन अपराध मनमोहन को दोष थामि,
'चन्द्रकला' तेरे ही सनेह सने एक पाय,ठाढ़े ह्वै जमुन तीर पीर सरसावै है ।
चंद्रकला बाई
कवित्त
बिन अपराध मन मोहन को दोष थामि,
चन्द्रकला तेरे ही सनेह सने एक पाय,ठाढ़े ह्वै जमुना तीर पीर सरसावै है ।
चंद्रकला
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महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
पिय सौतिन के नेह मैं घने सने हैं नैन।याते पानिप लाज को केहू बिधि ठहरै न।।531।।
रसलीन
क़िस्सा काव्य
हीर वारिस शाह
67. हीरहत्थ बद्धड़ी रहां गुलाम तेरी, सने त्रिंञणां नाल सहेलियां दे ।
वारिस शाह
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- तीसरी दास्तान
महल के बाग़ में, फ़व्वारों की नम फुहारों से सने चिनारों के साये में, सुल्तान जश्न