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सूफ़ी लेख
मौलाना जलालुद्दीन रूमी
मौलाना शिब्ली के शब्दों में –“मसनवी को जिस क़द्र मक़बूलियत और शोहरत हासिल हुई, फ़ारसी की
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
‘तुराब’ उस्ताद से मालूम कर लोतरीक़-ए-मा’रिफ़त गर क़द्र-दाँ हो
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
क़द्र करते हैं बहुत मोमिन मेरे ज़ुन्नार कीजितना जी चाहा जलाया तूने अब होश्यार हो
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
कि पंज रोज़: बक़ा ए’तिमाद रा शायदवज़ ईं क़द्र न-गुरज़स्त मुर्ग़-ओ-माही रा
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
हज़रत शरफ़ुद्दीन अहमद मनेरी रहमतुल्लाह अ’लैह
वस्लः-हक़ तआ’ला से वस्ल के मा’नी उससे मिलना और पैवस्ता होना है।मगर ये मिलना ऐसा नहीं
सूफ़ीनामा आर्काइव
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शाह अकबर दानापुरी और “हुनर-नामा”
बाग़-ए-आ’लम में गुलिस्तान-ए-तरक़्क़ी है हुनरक़द्र जिस मुल्क में इसकी न हो बर्बाद है वो
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
क़द्र जिस मुल्क में इसकी न हो बर्बाद है वोजिस जगह अहल–ए–हुनर होते हैं आबाद है वो
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
हज़रत मख़दूम अशरफ़ जहाँगीर सिमनानी के जलीलुल-क़द्र ख़ुलफ़ा - सय्यद मौसूफ़ अशरफ़ अशरफ़ी
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
तबले का हुनर एक ज़माने में पटना में ख़ूब रहा। बा-ज़ाब्ता उस की मश्क़ कराई जाती
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
हज़रत शाह साहब की ज़ात-ए-वाला सिफ़ात से जो फ़ैज़ रूहानी तौर पर इरादतमंदों को पहुँचा उसका