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सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
बरहे ने मार दे वानी की तीईआ तन कस बेहाल री। नदिया नीर धार अति धार कोई न उतरा जात रे।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
से था नाइ कूल किनारा शास्त्र धार नियम कि करम।।- जाग
सम्मेलन पत्रिका
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संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
नरहरि सहजै जिन जाना। 3. रसना रसहि विचारिये, सारंग श्रीरंग धार रे।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
सब कविकौ सिरनायके यौं उमंग मन धार ग्रंथ नाम दीनौ भलौ खुसबिलास सुखसार।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
जित्ति लई आसाम बाम निज नाम सुक्न्हिव। मार धार बस करिय हार बत्तर बर लिन्हव।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
48 दुनियाँ डूबी काली धार 5 सारंग49 अरे नर झूठो जगत कौ नेह 5 पूरबी
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ जमालुद्दीन कोल्हवी
मय-कशाँ मुज़्द: कि अब्र आमद-ओ-बिस्यार आमदचारों तरफ़ से घटा उमड़ आई। मूसला-धार बरसने लगा। चारों तरफ़
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
Jamaali – The second Khusrau of Delhi (जमाली – दिल्ली का दूसरा ख़ुसरो)
जमाली ने अपनी किताब में जहाँ भी कोई उदाहरण प्रस्तुत किया है उसके साथ उन्होंने उसका
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
मिस्टिक लिपिस्टिक और मीरा
प्रकृति भी इसी रंग में रंग गई। “उमंग्यो इन्द्र चहं दिसि बरसे दामिनि छोड़ी लाज। धरती
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
मख़दूम सैयद नजमुद्दीन क़लन्दर सन 1422 ई. में इब्राहीम शाह के काल में जौनपुर आये और
सुमन मिश्र
सूफ़ी लेख
संत रोहल की बानी- दशरथ राय
7वीं सदी में मुसलमानों का सिंध प्रदेश पर शासन स्थापित हो गया था और वहाँ अरबी
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तान में क़ौमी यक-जेहती की रिवायात-आ’ली- बिशम्भर नाथ पाण्डेय
यक-जेहती की रिवायत के सिलसिले में ज़बान के मसले पर भी कुछ कहना चाहता हूँ। ज़बान-ए-उर्दू
मुनादी
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बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
जिसने पहले ज़माना का झरना नहीं देखा उसने दिल्ली में कुछ ख़ाक नहीं देखा। मा’लूम होता