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सूफ़ी लेख
तारीख़-ए-वफ़ात निज़ामी गंजवी
निज़ामी चू ईं दास्तान शुद तमामब-अ’ज़्म-ए-शुदन तेज़ बर्दाश्त गाम
क़ाज़ी अहमद अख़्तर जूनागढ़ी
सूफ़ी लेख
चिश्तिया सिलसिला की ता’लीम और उसकी तर्वीज-ओ-इशाअ’त में हज़रत गेसू दराज़ का हिस्सा
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
हज़रत अमीर ख़ुसरो अपने शैख़ के उस क़ौल को अक्सर दुहराया करते थे कि मुआ’मलात-ए-ख़ल्क़ तीन
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद शकर गंज
कई आदमियों के ज़ख़्म-ख़ुर्दा सर और ज़रर-रसीदा आँखें उस रात के गुज़र जाने के बा’द कई
निज़ाम उल मशायख़
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
मातमी लिबास पहन लिया।सब कुछ लुटा दिया।ख़ाली हाथ हो बैठे ग़म की आग में जलते,हिज्र की
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
‘गर गुल अस्त अंदेश-ए-तू गुल्शने’की तशरीह में फ़रमाया कि इस अंदेशा में सिर्फ़ जानने से काम
मुनादी
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इन्सानियत में सूफ़ियों का हिस्सा (हज़रत शाह तुराब अ’ली क़लंदर काकोरवी के हवाला से) - डॉक्टर मसऊ’द अनवर अ’लवी
मुनादी
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के मुर्शिद और चिश्ती उसूल-ए-ता’लीम-प्रोफ़ेसर प्रीतम सिंह
(6) कहते हैं कि शैख़ क़ुतुबुद्दीन (रहि.) ने बाबा फ़रीद को चिल्ला-ए-मा’कूस करने की हिदायत फ़रमाई