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सूफ़ी लेख
शाह अकबर दानापुरी और “हुनर-नामा”
बू ज़फ़र शाह जो नादार हुए ग़द्र के बा’दउमरा-मोरिद-ए-बेदार हुए ग़द्र के बा’द
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
हज़रत गेसू दराज़ का मस्लक-ए-इ’श्क़-ओ-मोहब्बत - तय्यब अंसारी
दिल अगर इस ख़ाक में ज़िंदा-ओ-बेदार होतेरी निगाह तोड़ दे आईना-ए-महर-ओ-माह
मुनादी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ बू-अ’ली शाह क़लंदर
ईं अ’जब काँ वक़्त मी-गिर्यम कि कस बेदार नीस्तयक क़दम बर नक़्श-ए-ख़ुद नेह वाँ दिगर दर कू-ए-दोस्त
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
इस दौरान अपने पीर-ओ-मुर्शिद से बहुत दूर हो गए। जब ज़िंदगी ढलने लगी तो आवाज़ भी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
”मैं उस वक़्त ख़िदमत में हाज़िर था लेकिन रात-भर जागने की वजह से कुछ ग़ुनूदगी थी
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत शाह मोहसिन दानापुरी
आप बड़े पुर-गो शाइ’र थे। हर सिन्फ़-ए-शाइ’री पर तब्अ’-आज़माई की है और अक्सर जगहों पर उन्होंने
रय्यान अबुलउलाई
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हज़रत ख़्वाजा नूर मोहम्मद महारवी - प्रोफ़ेसर इफ़्तिख़ार अहमद चिश्ती सुलैमानी
पाक-पतन शरीफ़ का सफ़रदिल्ली में तशरीफ़-आवरी के कुछ अ’र्सा बा’द हज़रत मौलाना साहिब ने पाक-पत्तन शरीफ़
मुनादी
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बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
सिलसिला वारसिया हिंदुस्तान में जिस तेजी से फैला वह आश्चर्यचकित करने वाला है. वारसिया सिलसिला हज़रत
सुमन मिश्रा
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हज़रत बख़्तियार काकी रहमतुल्लाहि अ’लैह - मोहम्मद अल-वाहिदी
साहिब-ए-जवामिउ’ल-कलिम लिखते हैं कि एक दफ़ा’ नौ उ’म्री ही के ज़माना में आपको शौक़ पैदा हुआ
निज़ाम उल मशायख़
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अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
बादशाह का ज़िहन क़ुदरतन शे’र के ज़ाहिरी मफ़्हूम की तरफ़ गया और क़रीब था कि शाइ’र