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सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
शुक्ल– आपके विरह-वर्णन के सम्बन्ध में भी मुझे आपत्ति रही हैं। परिस्थिति की गम्भीरता के अभाव
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
मधुबन! तुम कत रहत हरे? बिरह-वियोग श्यामसुंदर के ठाढ़े क्यों न जरे?
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की पाँचवी क़िस्त
स्थूल भोगों के वियोग की अग्नि।अपमान, निरादर और संकोच में डालने वाली अग्नि।
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
आलोचना- महाकवि बिहारीदास जी की जीवनी-मयाशंकर याज्ञिक
हिय कौं हुलास आली काहू सौं न भाखिए।केसौ केसौ राइ सों वियोग पलहू न होइ,
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
देव और बिहारी विषयक विवादः उपलब्धियाँ- किशोरी लाल
नैनन नेह चुवौ कवि देव बुझावत बैन वियोग अंगीठीऐसी अनोखी अहोरी अहै कहौ क्यों न लगे मनमोहनै मीठी।।’
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूरसागर, डॉक्टर सत्येन्द्र
वात्सल्य संयोग वियोगसूरसागर का समस्त काव्य वात्सल्य तथा श्रृंगार-रस से युक्त है। इन रसों की क्रमशः
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
संतों के लोकगीत- डॉ. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम.ए., पी-एच.डी.
एक कवि के द्वारा आत्मा-नारी को परमात्मा-प्रियतम के वियोग में व्याकुल और तड़पने का भावपूर्ण चित्रण
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
प्रेम और मध्ययुगीन कृष्ण भक्ति काव्य- दामिनी उत्तम, एम. ए.
सूर के समान ही परमानन्ददास ने भी राधा की प्रशंसा की है। वे राधा के चरणों
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
अब जिउ उठै तरंग, मुहमद कहा न जाइ किछु।।अर्थात् सदा एक ही साथ रहने वालों में
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जौनपुर की सूफ़ी परंपरा
आप जौनपुर के बड़े प्रसिद्ध सूफ़ी थे और हज़रत ई’सा ताज के ख़लीफ़ा थे .कहते हैं
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
मीरां के जोगी या जोगिया का मर्म- शंभुसिंह मनोहर
इस संबंध में डा. रामगोपाल शर्मा ‘दिनेश’ का यह कथन भी द्रष्टव्य है- पवित्र और आदर्श
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की चौथी क़िस्त
माया के छलों में सबसे पहली बात यह है कि यद्यपि तुम्हें यह स्थिर जान पड़ती
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
इस अवतरण से जो कुछ पता चलता है वह उक्त साहब का विरोधी है। ग्रियर्सन साहब
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
सेवक सूर लिखन कौ आँधौ, पलक कपाट अरे।।पता नहीं मथुरा में स्याही चुक गई या कागज
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
सूर की कविता का आकर्षण, डॉक्टर प्रभाकर माचवे
श्रवण-कीर्तनादि नवधा भक्ति का अन्तिम सोपान है आत्म-निवेदन। वही पुष्टि-मार्ग का पहला कदम है। भगवान के