ख़्वाजा हसन सानी के सूफ़ी लेख
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी
ख़्वाजा-ए-ख़्वाजगान, हज़रत ख़्वाजा अजमेरी रहमतुल्लाहि अलै’ह हिन्दुस्तान में भेजे हुए आए थे।वो नाइब-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम और अ’ता-ए-रसूल सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम हैं। सरकार-ए-दो-आ’लम सल्लल्लाहु अलै’हि-व-सल्लम के रुहानी इशारे और हुक्म पर उन्होंने
ज़ियाउद्दीन बर्नी की ज़बानी हज़रत महबूब-ए-इलाही का हाल
शैख़ुल-इस्लाम निज़ामुद्दीन (रहि.)ने बैअ’त-ए-आ’म का दरवाज़ा खोल रखा था। गुनहगार लोग उनके सामने अपने गुनाहों का इक़्बाल करते और उनसे तौबा करते और वो उनको अपने हल्क़ा-ए-इरादत में शामिल कर लेते। ख़्वास-ओ-अ’वाम, मालदार-ओ-मुफ़्लिस, अमीर-ओ-फ़क़ीर, आ’लिम-ओ-जाहिल,
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere