Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

हिन्दुस्तानी सूफ़ी कवि

हिन्दुस्तानी सूफ़ी कवि

1769 -1851 दिल्ली

मुग़ल बादशाह शाह आ’लम सानी के उस्ताद

1904 -1998 पटना

बिहार के नाम-वर शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और मुहक़्क़िक़

1253 -1325 दिल्ली

ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है

1829 -1900 रामपुर

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

1880 -1936 गया

चौदहवीं सदी हिज्री का एक सूफ़ी शाइ’र

गुलिस्तान-ए-मख़्दूम-ए-समनान का एक रौशन चराग़

1800 -1882

मुस्हफ़ी का एक मुम्ताज़ शागिर्द

1856 -1921 बरेली

हिंदुस्तान के मशहूर आ’लिम-ए-दीन और ना’त-गो शाइ’र

हैदराबाद के मश्हूर अबुल-उ’लाई सूफ़ी

1873 -1951

मुख़्तलिफ़ ख़ूबियों वाला एक अ’ज़ीम शायर

चौदहवीं सदी हिज्री के मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र और ख़ानक़ाह-ए-रशीदिया जौनपूर के सज्जादा-नशीं

हैदराबाद के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि

हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और अपनी सूफ़ियाना शाइ’री के लिए मशहूर

1235 -1187 दिल्ली

ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिशती के मुमताज़ मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा और जानशीन

पंद्रहवीं सदी के एक सूफ़ी शाइ’र और संत जिन्हें भगत कबीर के नाम से भी जाना जाता है, कबीर अपने दोहे की वजह से काफ़ी मशहूर हैं, उन्हें भक्ति तहरीक का सबसे बड़ा शाइ’र होने का ए’ज़ाज़ हासिल है

1887 -1968 कराची

हिंद-ओ-पाक का एक बेहतरीन उस्ताद शाइ’र

‘’आपको पाता नहीं जब आपको पाता हूँ मैं’’ लिखने वाले शाइ’र

1721 -1785 दिल्ली

सूफ़ी शाइ’र, हिन्दुस्तानी मौसीक़ी के गहरे इ’ल्म के लिए मशहूर

1715 -1788 पटना

अ’ज़ीमाबाद के मुम्ताज़ सूफ़ी शाइ’र और बारगाह-ए-हज़रत-ए- इ’श्क़ के रूह-ए-रवाँ

ख़ानक़ाह नासरिया, सहारनपुर के चश्म-ओ-चराग़

‘’ख़ुद का पर्दा है तो ख़ुद ख़ुद को ज़रा देख तो ले' के लिए मशहूर

1902 -1978 कराची

मा’रूफ़ शाइ’र, अदीब, मुसन्निफ़ और सूफ़ी

सबसे प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में शामिल अत्याधिक लोकप्रियता के लिए विख्यात

1898 -1982 लखनऊ

उर्दू अबद के नाम-वर और क़ादिरुल-कलाम शाइ’र

1615 -1659 दिल्ली

मुग़्लिय्या सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ और मलिका मुमताज़ के बड़े साहिबज़ादे जिन्हों ने सूफ़ियाना रिवायत को मज़ीद जिला बख़्शी, उनके तअ’ल्लुक़ात सिखों के गुरुओं से निहायत ख़ुश-गवार थे

1735 -1830 आगरा

अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली, दीवाली, श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर

1878 -1950 कानपुर

लखनऊ के मा’रूफ़ अदीब, शाइ’र और मुसन्निफ़

1238 -1325 दिल्ली

हिन्दुस्तान के मुमताज़ सूफ़ी और अमीर ख़ुसरो के पीर-ओ-मुर्शिद

हिंद-ओ-पाक के मक़बूल-ए-ज़माना शाइ’र

ख़ानक़ाह मुजीबिया, फुलवारी शरीफ़ के सज्जादा-नशीं और बिहार के मुमताज़ फ़ारसी-गो शाइ’र

1876 -1936 उन्नाव

मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र और ''बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना' के लिए मशहूर

1790 -1857 लखनऊ

नासिख़ का एक गुम-नाम शागिर्द

1900 -1974 लाहौर

लखनऊ का मा’रूफ़ ना’त-गो शाइ’र

हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए