फ़ारसी सूफ़ी कवि
फ़ारसी सूफ़ी कवि
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के मुरीद और फ़वाइदुल-फ़ुवाद के जामे’
महबूबान-ए-ख़ुदा की फ़िहरिस्त में एक अ’ज़ीम नाम
हैदराबाद के मश्हूर अबुल-उ’लाई सूफ़ी
आ’लमी फ़ारसी रुबाई-गो शाइ’र और फ़लसफ़े की दुनिया का उस्ताद जिनका अपना कलेंडर था, आपके इ’ल्म-ओ-फ़ज़्ल का ए’तराफ़ अहल-ए-ईरान से बढ़ कर अहल-ए-यूरोप ने किया
हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद और अपनी सूफ़ियाना शाइ’री के लिए मशहूर
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिशती के मुमताज़ मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा और जानशीन
‘’आपको पाता नहीं जब आपको पाता हूँ मैं’’ लिखने वाले शाइ’र
हिन्दुस्तान के मशहूर सूफ़ी जिन्हें ग़रीब-नवाज़ और सुलतानुल-हिंद भी कहा जाता है
सूफ़ी शाइ’र, हिन्दुस्तानी मौसीक़ी के गहरे इ’ल्म के लिए मशहूर
अ’ज़ीमाबाद के मुम्ताज़ सूफ़ी शाइ’र और बारगाह-ए-हज़रत-ए- इ’श्क़ के रूह-ए-रवाँ
‘’ख़ुद का पर्दा है तो ख़ुद ख़ुद को ज़रा देख तो ले' के लिए मशहूर
सूफ़ियाना शे’र कहने वाला एक आ’लमी शाइ’र और मुसन्निफ़
मुग़्लिय्या सल्तनत के बादशाह शाहजहाँ और मलिका मुमताज़ के बड़े साहिबज़ादे जिन्हों ने सूफ़ियाना रिवायत को मज़ीद जिला बख़्शी, उनके तअ’ल्लुक़ात सिखों के गुरुओं से निहायत ख़ुश-गवार थे
ख़ानक़ाह मुजीबिया, फुलवारी शरीफ़ के सज्जादा-नशीं और बिहार के मुमताज़ फ़ारसी-गो शाइ’र
नीशापूर के अ’ज़ीम शाइ’र, मुसन्निफ़ और अदवियात के माहिर
मशहुर सूफ़ी बुज़ुर्ग बू-अ’ली शाह क़लंदर
आठवीं सदी हिज्री के आ’रिफ़, अदीब-ओ-शाइ’र
महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता
दिल्ली के मा’रूफ़ नक़्शबंदी मुजद्ददी बुज़ुर्ग और मुमताज़ सूफ़ी शाइ’र
मशहूर फ़ारसी शाइ’र, मसनवी-ए-मा’नवी, फ़िहि माफ़ीह और दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी के मुसन्निफ़, आप दुनिया-भर में अपनी ला-ज़वाल तसनीफ़ मसनवी की ब-दौलत जाने जाते हैं, आपका मज़ार तुर्की में है ।
पाकिस्तान की मशहूर रुहानी शख़्सियत और मुमताज़ मुसन्निफ़
सिल्सिला-ए-क़ादिरिया के बानी और नामवर सूफ़ी
बाबा फ़रीदुद्दीन गंज शकर के मुम्ताज़ ख़लीफ़ा
जनाब हुज़ूर शाह अमीन अहमद फ़िरदौसी बिहारी के साहिबज़ादे
नातिया अदब के शोधकर्ता और खानकाह हलीमिया अबुलउ'लाइया, इलाहाबाद के प्रसिद्ध सज्जादा नशीन
अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती
हिन्द-ओ-पाक के मा’रूफ़ रुहानी शाइ’र
बर्र-ए-सग़ीर के नाम-वर आ’लिम-ए-दीन और मुहद्दिस
मशहूर रुबाई-गो शाइ’र और शहीद-ए-इ’श्क़ जिन्हें अ’ह्द-ए-औरंगज़ेब में शहीद कर दिया गया था
ईरान के एक बड़े मुअ’ल्लिम, आपकी दो किताबें गुलसिताँ और बोसतां बहुत मशहूर हैं, पहली किताब नस्र में है जबकि दूसरी किताब नज़्म में है
मुमताज़ और जदीद शाइ’रों में नुमायां, सैकड़ों शागिर्दों के उस्ताद और हाजी वारिस अ’ली शाह के मुरीद