सुझाए गए सूफ़ी कवि
सुझाए गए सूफ़ी कवि
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के चहेते मुरीद और फ़ारसी-ओ-उर्दू के पसंदीदा सूफ़ी शाइ’र, माहिर-ए-मौसीक़ी, उन्हें तूती-ए-हिंद भी कहा जाता है
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया के मुरीद और फ़वाइदुल-फ़ुवाद के जामे’
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिशती के मुमताज़ मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा और जानशीन
हिन्दुस्तान के मशहूर सूफ़ी जिन्हें ग़रीब-नवाज़ और सुलतानुल-हिंद भी कहा जाता है
पाकिस्तान से तअ’ल्लुक़ रखने वाले मशहूर सूफ़ी शाइ’र आपकी काफ़ियाँ काफ़ी मशहूर हैं
सूफ़ियाना शे’र कहने वाला एक आ’लमी शाइ’र और मुसन्निफ़
हिन्दुस्तान के मुमताज़ सूफ़ी और अमीर ख़ुसरो के पीर-ओ-मुर्शिद
नीशापूर के अ’ज़ीम शाइ’र, मुसन्निफ़ और अदवियात के माहिर
मशहुर सूफ़ी बुज़ुर्ग बू-अ’ली शाह क़लंदर
पंजाब के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र जिनके अशआ’र से आज भी एक ख़ास रंग पैदा होता है और रूह को तस्कीन मिलती है
बारहवीं सदी के मुबल्लिग़ और सूफ़ी बुज़ुर्ग थे, उनको क़ुरून-इ-वुस्ता के सबसे मुमताज़ और क़ाबिल-ए-एहतिराम सूफ़िया में से एक कहा गया है, उनका मज़ार पाकपतन, पाकिस्तान में है
हिन्दुस्तान के मा’रूफ़ ख़ैराबादी शाइ’र और जाँ-निसार अख़तर के पिता
आठवीं सदी हिज्री के आ’रिफ़, अदीब-ओ-शाइ’र
महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता
मशहूर फ़ारसी शाइ’र, मसनवी-ए-मा’नवी, फ़िहि माफ़ीह और दीवान-ए-शम्स तबरेज़ी के मुसन्निफ़, आप दुनिया-भर में अपनी ला-ज़वाल तसनीफ़ मसनवी की ब-दौलत जाने जाते हैं, आपका मज़ार तुर्की में है ।
आठवीं सदी हिज्री में वादी-ए-कश्मीर की एक अ’जीब-ओ-ग़रीब शख़्सियत हैं
सिल्सिला-ए-क़ादिरिया के बानी और नामवर सूफ़ी
ख़ानक़ाह-ए-काज़िमिया, काकोरी के बानी और रुहानी शाइ’र
अवध के मा’रूफ़ सूफ़ी शाइ’र और रुहानी हस्ती
हज़रत शाह अकबर दानापुरी के साहिब-ज़ादे और ख़ानक़ाह-ए-सज्जादिया अबुल-उ’लाइया, दानापुर के बा-कमाल सज्जादा-नशीन
मशहूर रुबाई-गो शाइ’र और शहीद-ए-इ’श्क़ जिन्हें अ’ह्द-ए-औरंगज़ेब में शहीद कर दिया गया था
ईरान के एक बड़े मुअ’ल्लिम, आपकी दो किताबें गुलसिताँ और बोसतां बहुत मशहूर हैं, पहली किताब नस्र में है जबकि दूसरी किताब नज़्म में है
फ़ारसी के मक़बूल-तरीन शाइ’र और फ़ाल-नामा के लिए मशहूर