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अब्दुल्लाह वाइज़

अब्दुल्लाह वाइज़ का परिचय

उपनाम : 'वाइज़'

गुजरात के मशहूर मसनवीनिगार। अपनी मसनवियों में इन्होंने अपने ख़ानदान और नामदाम का वर्णन किया है। इनकी आठ पीढ़ियाँ नहखालान (पट्टन) में गुजरी हैं। इनके ख़ानदान के पहले शख़्स शाह फतेउल्लाह हामां शहर से हिन्द तशरीफ़ लाए थे। उनका निवास पट्टन में खालिक़पुरा में ख़्वाजा मस्जिद के पास था। वाइज की छह मसनवियाँ प्रसिद्ध हैंः- (1) हश्रनामा (1197 हिजरी), (2) क़िस्सा-ए-ठग, (3) क़िस्सा-ए-ठग दोयम (1196 हिजरी), (4) क़िस्सा-ए-मुधम दरवेश, (5) लैला मजनूँ और (6) क़िस्सा-ए-ज़मज़मा।
वाइज़ की भाषा में फ़ारसी के साथ साथ गूजरी शब्दों का समन्वय मिलता है। इनकी रचनाओं में फ़ारसी बुहुर का प्रयोग हुआ है।

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